सावधान! सामने प्रलयंकारी प्रदूषण
– खराब सड़कें, खुले में हो रहे निर्माण कार्य व 17 हजार पुराने वाहनों के धुएं से बिगड़ रही हवा की सेहत
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शहर की सड़कें टिकाऊ और निर्माण कार्य स्थलों को कवर्ड करके निर्माण किए जाएं तो प्रदूषण आधे से अधिक कम हो जाएगा। फिर बचे पुराने वाहनों पर रोक लगा दी जाए, कोयला आधारित बिजली घरों को बंद कर दिया जाए और शहरों के आसपास चल रहे उद्योगों से निकलने वाले धुएं व अपशिष्ट की निगरानी और कड़ी कर दी जाए तो वायु प्रदूषण पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रदूषण की मुख्य वजह यही हैं।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के आंकड़ें बताते हैं कि उखड़ी सड़कों व खुले में हो रहे निर्माण कार्यों से निकलने वाले धूल के कण हवा की सेहत बिगाड़ रहे हैं। इन्हें पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 व 10 भी कहते हैं। इनमें कुछ मात्रा में धुएं में पाए जाने वाले प्रदूषक तत्व भी मिले होते हैं। ठंड के दिनों में भोपाल में इनका स्तर 334 व 422 तक पहुंच जाता है इस वजह से हवा की सेतह बिगड़ जाती है और वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार चला जाता है। यह बीते एक दिन में 70 से बढ़कर 122 तक पहुंच गया है।
इसलिए प्रदूषित हो रही शहर व प्रदेश की हवा
40 फीसद सड़कें उखड़ीं, उड़ रही धूल
शहर में 4600 किलोमीटर लंबी सड़कें हैं। इनमें नगर निगम की 3879 किलोमीटर, पीडब्ल्यूडी 531 किलोमीटर और सीपीए की 132 किलोमीटर सड़कें हैं। इनमें से 40 फीसद सड़कें बारिश की वजह से उखड़ चुकी हैं। बारिश नहीं होने के कारण धूल उड़ रही है जो वातावरण में फैल रही है। इससे प्रदूषण बढ़ता है, जब तक इन्हें ठीक नहीं किया जाएगा, प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ रहेगा।
जिम्मेदार- निगम, पीडब्ल्यूडी व सीपीए जिम्मेदार हैं। यदि टिकाऊ सड़कें बनाई जाएं, बारिश में सड़कों पर पानी न रुके तो यह लंबे समय तक चल सकती हैं।
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17 हजार पुराने वाहन उगह रहे जहरीला धुआं
शहर में एक अनुमान के मुताबिक 17.50 लाख वाहन हैं। इनमें 17 हजार की उम्र 15 साल से अधिक हो चुकी है। यह जहरीला धुआं छोड़ते हैं। जिसमें कार्बनडाइ आक्साइड, सल्फरडाइ आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड जैसी घातक गैसें व उनके कण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
जिम्मेदार- पुराने वाहनों पर परिवहन विभाग रोक लगा सकता है। ऐसा किया तो धुएं का स्तर कम होगा।
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किसान जलाते हैं पराली
भोपाल समेत प्रदेशभर में किसान धान व गेहूं की कटाई के बाद पराली जलाते हैं उसका धुआं वातावरण में फैलता है। हवा प्रदूषित होती है। फेफड़ों पर असर पड़ता है।
जिम्मेदार- यदि कलेक्टर, कृषि विभाग, स्थानीय तहसीलदार तय कर लें तो कोई भी किसान पराली नहीं जला सकते।
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सतपुड़ा ताप विद्युत गृह
यह भोपाल से 200 किलोमीटर दूर है। यहां कोयले का उपयोग होता है। कोयले के जलने से कार्बनडाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड गैस निकलती है। राख भी निकलती है, जिसका असर भोपाल समेत आसपास के जिलों के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
जिम्मेदार- अब कोयले का विकल्प सौर उर्जा, पवन उर्जा, बिजली से पैदा होने वाली उर्जा है। तब भी शासन इसे बंद करने पर विचार नहीं कर रहा है।
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मंडीदीप, गोविंदपुरा उद्योग
भोपाल व मंडीदीप में मिलाकर 1000 से अधिक छोटी-बड़ी उद्योग इकाइयां हैं। इनकी आनलाइन मानीटरिंग की जा रही है। कुछ तय स्तर से अधिक धुआं छोड़ती हैं जिसमें कार्बन मोनो आक्साइड जैसी हानिकारक गैसें व कण होते हैं।
जिम्मेदार- पीसीबी इन पर सीधा नियंत्रण रखता है। शहर से उद्योग पूरी तरह बाहर होने चाहिए।
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90 फीसद काम खुले में चल रहे
अनुमान के मुताबिक शहर में 200 स्थानों पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। 10 फीसद छोड़कर सभी खुले में किए जा रहे हैं। निर्माण के दौरान धूल निकलती है तो वातावरण में फैल रही है।
जिम्मेदार- सरकारी व निजी निर्माण एजेंसियों को निर्माण स्थल कवर्ड करके निर्माण कार्य कराना चाहिए। कलेक्टर व पीसीबी कार्रवाई कर सकते हैं, जो नहीं की जा रही है।
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निर्माण गतिविधियों के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिमालेशन वेस्ट नियम है। सरकार को सभी निर्माण एजेंसियों से इसका पालन करवाना चाहिए। पीएम 10 व 2.5 में गिरावट आने लगेगी।
– एनपी शुक्ला, पूर्व चेयरमैन, पीसीबी मप्र
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यदि सड़कें टिकाऊ हों, निर्माण कार्य पूरी तरह कवर्ड करके किए जाएं और पुराने वाहनों पर रोक लगा दी जाए तो प्रदूषण की आधी समस्या खत्म हो जाएगी।
– डॉ. पीआर देव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक, पीसीबी मप्र
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अभियान चलाकर पुराने वाहनों को जब्त करेंगे, जिन नए वाहन मालिकों के पास प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा, उन पर जुर्माना किया जाएगा।
– संजय तिवारी, आरटीओ
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निर्माण, नगरीय विकास एवं आवास और कृषि विभाग मिलकर सूक्ष्म स्तर पर काम कर रहे हैं। जल्द वायु प्रदूषण में और गिरावट लाएंगे।
– मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, पर्यावरण विभाग
Posted By: Nai Dunia News Network
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