Updated: | Sat, 03 Oct 2020 09:57 AM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। वर्ष 2016 से 2018 तक दो साल तक प्रदूषण में बढ़ोतरी होने के बाद 20 19 और 2020 में अब तक की स्थिति में मामूली कमी जरूर आई है इस साल की ठंड शहरवासियों को भारी पड़ सकती है। हर साल जनवरी के आसपास शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, इस बार कोरोना के मरीज और संक्रमण के लिए यह घातक हो सकता है। लिहाजा हमें हर स्तर पर सतर्क रहना होगा जिससे की हम आने वाले संकट का बेहतर सामना कर सकें। हर साल जनवरी व आसपास के माह में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 व 10 का स्तर क्रमशः 422 व 334 तक बढ़ जाता है। हवा प्रदूषित होती है और वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार चला जाता है जो कि 50 या उससे नीचे होना चाहिए, तब हवा शुद्ध मानी जाती है।
प्रदूषण की वजह धूल के कण हैं जो शहर में हो रहे निर्माण कार्यों व खराब सड़कों से निकल रहे हैं। यदि इस पर अंकुश लगा दिया जाए तो प्रदूषण से काफी हद तक निपटा जा सकता है। यह प्रदूषण रोग प्रतिरोधक क्षमता तो कम करता ही है, श्वास, कैंसर, अस्थमा, फेफड़े व त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की मुश्किल भी बढ़ाता है। बीते दो दिन से सूचकांक 117 तक पहुंच रहा है, आगे भी बढ़ना तय है।
ऐसे बढ़ेगा खतरा
– पीएम 2.5 – का स्तर चैबीस घंटे में 60 होना चाहिए, जो 150 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाता है। ये छोटे आकार के धूल के कण होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।मुख्य रूप से निर्माण कार्य और सड़कों की धूल से आते हैं।
– पीएम 10 – ये बड़े आकार के धूल के कण होते हैं जो निर्माण कार्यों वाले क्षेत्रों में होते हैं। यह आंखों से लेकर शरीर के पूरे तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोना संक्रमितों के लिए और खतरनाक होंगे।
– धुएं में वोलाटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (वाष्पशील कार्बिनक यौगिक), सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड व अन्य हानिकारक मैटल का स्तर भी ठंड में नमी पाकर कम धूप की स्थिति में बढ़ जाता हैं। ये कई बीमारियों की वजह बनते हैं।
भोपाल में कब कितना रहा पीएम 10 का सालाना स्तर
वर्ष – पीएम 10
2018 – 135
2017 – 93
2016 – 89
2015 – 158
2014 – 159
2013 – 222
नोटः ये आंकड़े पूर्व में समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए हैं। वर्ष 2019 में पीएम 10 का स्तर जारी नहीं हुआ है, लेकिन मामूली गिरावट का अनुमान मप्र पीसीबी ने जताया है।
ऐसे करें बचाव
– घर से बाहर निकलते वक्त हमेशा मास्क का उपयोग करें। आंखों पर चश्मा लगाएं।
– बच्चों व बुजुर्गों को धूप निकलने के बाद ही बाहर घूमने भेजें।
शहर में प्रदूषण घटने-बढ़ने की वजह
– 2013 में कई सड़कों का निर्माण हुआ, धूल उड़ी, पुराने वाहनों पर प्रतिबंध नहीं था। कारखानों से निकलने वाले हानिकारक तत्वों की ठीक से समीक्षा नहीं होती थी।
– साल 2017 व 18 में शहर के अंदर निर्माण गतिविधियां बढ़ी थीं इसलिए धूल के कणों का स्तर बढ़ा हुआ था।
– साल 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता कार्यक्रम के तहत कई स्तर पर काम किए जा रहे हैं।
– 2020 में ज्यादातर समय कोरोना की वजह से सड़कों पर वाहन कम थे, निर्माण कार्य रुके रहे थे।
प्रदूषण धीमे जहर की तरह इंसान को कमजोर कर रहा है। इस बार भी ठंड में प्रदूषण असर दिखाएगा। नुकसान की ज्यादा आशंका है, क्योंकि पहले जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ था और जो प्रदूषण के समय संक्रमित रहेंगे, उनके स्वास्थ्य पर तो विपरीत असर पड़ना तय है। – डॉ. सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद
वैसे प्रदूषण और कोरोना संक्रमण का कोई सीधा संबंध तो नहीं है लेकिन
ठंड के दिनों में प्रदूषण की वजह से एलर्जी, अस्थमा की शिकायतें बढ़ जाती हैं। फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को तकलीफें भी होती हैं। ऐसे समय में आक्सीजन की अधिक जरूरत होगी क्योंकि कोरोना के मरीजों को भी आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इस तरह आक्सीजन की जरूरत पूरी करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। – प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह, डायरेक्टर एम्स, भोपाल
Posted By: Prashant Pandey
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