Publish Date: | Sun, 04 Oct 2020 04:21 PM (IST)
Coronavirus Jabalpur News: जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि। कोरोना वायरस का संक्रमण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर रहा है। इसके चलते तमाम मरीज असमय काल के गाल में समा रहे हैं। यह खतरनाक संक्रमण सबसे ज्यादा हृदय को नुकसान पहुंचा रहा है। हालात यह है कि कोरोना संक्रमित तमाम मरीजों की मौत हार्ट अटैक से हो रही है, जिसकी वजह वायरल मायोकार्डिटिस बताया जा रहा है।
फेफड़ों से हार्ट तक पहुंच रहा वायरस
चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण मरीजों के फेफड़ों तक पहुंच रहा है। फेफड़ों से होता हुआ कोरोना का वायरस हार्ट (दिल) में समा जाता है। इस स्थिति में वह हृदय की मसल्स पर हमला कर उन्हें ढीला कर देता है। ऐसा होने पर हृदय के सिकुड़ने की क्षमता प्रभावित हो जाती है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।
कोरोना से होने वाली ज्यादातर मौतों के लिए वायरल मायोकार्डिटिस को जिम्मेदार बताया जा रहा है। चिकित्सक कहते हैं कि कोरोना का संक्रमण होने पर बिना देर किए उपचार कराया जाना चाहिए ताकि हृदय की मसल्स डैमेज न हों तथा ऑक्सीजन की कमी न होने पाए।
क्या है मायोकार्डिटिस
यह आमतौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। मायोकार्डिटिस में दिल की मांसपेशियों में सूजन व लालिमा आने लगती है। इन मांसपेशियों को मायोकार्डिटिस कहा जाता है जो हृदय व इसके इलेक्ट्रिक सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। ऐसा होने पर दिल की खून पंप करने की क्षमता प्रभावित होती है और धड़कनें अनियमित हो जाती हैं।
ये हैं संकेत
-छाती में दर्द
-थकान
-सांस फूलना
-दिल की धड़कनें तेज व अनियमित होना
-सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, बुखार, गले में दर्द या दस्त लगना।
यह है दुष्प्रभाव
मायोकार्डिटिस के कारण हृदय कमजोर हो जाता है। जिसके चलते हृदय पूरे शरीर में पर्याप्त मात्रा में खून पहुंचाने में असमर्थ हो जाता है। गंभीर मायोकार्डिटिस में हृदय में खून के थक्के जमने लगते हैं जिससे स्ट्रोक व हार्ट अटैक की स्थिति निर्मित होती है।
इनका कहना है
कोरोना वायरस हृदय पर अटैक कर मांसपेशियों में सूजन पैदा करता है। जिससे हृदय का आकार बढ़ जाता है। हृदय गति अनियमित हो जाती है जो अचानक मौत का कारण बनती है। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद तीन माह तक सेहत का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। इस अवधि में शरीर को आराम देना चाहिए। समय समय पर हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर इकोकार्डियोग्राफी करानी चाहिए ताकि हृदय के फूले हुए हिस्से का पता लगाकर उपचार कराया जा सके।
डॉ. आरएस शर्मा, पूर्व कुलपति मप्र चिकित्सा विश्वविद्यालय
– कोरोना संक्रमण के दौरान वायरल मायोकार्डिटिस की स्थिति बहुत जोखिम भरी हो जाती है। ऐसे मरीजों की जान बचाना किसी चुनौती से कम नहीं रहता। कोरोना से अब तक जितनी मौत हुई है उनमें 80 फीसद से ज्यादा मरीजों में वायरल मायोकार्डिटिस कारण बना। कोरोना सिर्फ फेफड़ों को नहीं बल्कि हृदय को भी बीमार कर रहा है।
डॉ. दीपक बरकड़े, एमडी मेडिसिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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