Publish Date: | Fri, 02 Oct 2020 08:35 PM (IST)
*अस्पतालों की मनमानी पर बीमा कंपनियां चला रही कैंची, मरीजों पर बढ़ा आर्थिक बोझ
केस 1
नहीं किया भर्ती
तबीयत बिगड़ने के बाद सुदामा नगर निवासी गोविंद (परिवर्तित नाम) के स्वजन ने निजी अस्पताल में संपर्क किया। अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही कैशलैस मेडिक्लेम लेने से मना कर दिया। मरीज को इलाज के लिए नकद भुगतान करना पड़ा रहा है।
केस 2
महीनेभर बाद भी दावा राशि नहीं मिली
कोरोना पॉजिटिव आने के बाद शेखर जैन को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। पहले अस्पताल प्रबंधन ने कैशलैस से इन्कार किया, लेकिन बाद में प्रबंधन मान गया। दस दिन इलाज चलने के बाद 3 लाख 85 हजार का बिल बना। महीनेभर बाद भी कंपनी ने क्लेम की राशि अस्पताल को जारी नहीं की।
इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ये दो उदाहरण बानगी भर हैं। कोरोना संक्रमित होकर इलाज के निजी अस्पताल पहुंचने वाले ज्यादातर लोगों की पीड़ा यही है। कैशलेस सुविधा के साथ ली गई पॉलिसी पर भी ये सुविधा नहीं मिल पा रही है। केवल कुछ अस्पताल ही इस तरह की सुविधा दे रहे हैं। रही-सही कसर बीमा कंपनियां पूरी कर रही हैं। पॉलिसी लिमिट पर्याप्त होने के बाद भी सरकारी बीमा कंपनियां 60-70 प्रतिशत और निजी बीमा कंपनियां 80 फीसद राशि दे रही हैं।
इतने प्रकार के मेडिक्लेम
1. सामान्य मेडिक्लेम
-पॉलिसी खरीदने के 30 दिन बाद कोरोना भी कवर।
– 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी।
– प्राइवेट रूम, आइसीयू, विभिन्ना जांच, डॉक्टर फीस, नर्सिंग स्टाफ, दवाइयों का खर्च कवर है। इसकी दरें कंपनियों ने निर्धारित कर रखी हैं। तय दरों से अधिक होने पर राशि का भुगतान पॉलिसी धारक को करना है।
– पीपीई-सैनिटाइजेशन का चार्ज शामिल नहीं।
2. कोरोना पॉलिसी
विशेष कोरोना पॉलिसी में कैशलेस और रिइंबर्समेंट की सुविधा है।
– 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना जरूरी। 15 दिन बाद बीमारी कवर
– इस पॉलिसी में प्राइवेट रूम, आइसीयू, विभिन्ना जांच, डॉक्टर फीस और पीपीई का खर्च कवर होता है, लेकिन कंपनियों ने इसके लिए मात्र 12 हजार रुपये प्रतिदिन देने का तय किया है।
– ये पॉलिसी 105, 195 और 285 दिन के हिसाब में रखी है। 50 हजार से 5 लाख तक इलाज हो सकता है।
3. बेनिफिट प्लान
– 72 घंटे अस्पताल में भर्ती होना अनिवार्य है।
– 50 हजार से ढाई लाख तक कंपनी की तरफ से बीमारी के इलाज के दौरान मिलेगा।
सामान्य पॉलिसी में भी कोरोना का इलाज
सामान्य मेडिक्लेम पॉलिसी में भी कोरोना के इलाज की सुविधा है। इसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है। डिस्चार्ज होने के बाद मरीजों को बिल की राशि वसूलने में महीनों लग रहे हैं। –
-एसडी बियानी, बीमा सलाहकार
नहीं दे रहे इलाज का विवरण
कैशलेस मेडिक्लेम में कुछ अस्पताल इलाज जरूर कर रहे हैं लेकिन खर्च की राशि मरीज को नहीं बताते। बीमा कंपनी 60-70 फीसद राशि ही देती है। शेष राशि मरीज को चुकानी पड़ रही है।
-राजीव वडनेरे, बीमा सलाहकार
Posted By: Nai Dunia News Network
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