Updated: | Thu, 01 Oct 2020 08:03 PM (IST)
जितेंद्र यादव. इंदौर (नईदुनिया)। पुरुष प्रधान व्यवस्था की हकीकत देखिए कि पुरुष अफसर के यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अफसर को सरकार और अपने ही विभाग से न्याय तो नहीं मिला, उल्टे उसका तबादला कर दिया। वो भी आसपास नहीं बल्कि करीब 470 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ किया गया ताकि वो आसानी से कानूनी लड़ाई लड़ने इंदौर न आ सके और परेशान होकर केस वापस ले ले। मगर, आला अफसरों के इस मंसूबे पर हाई कोर्ट ने पानी फेर दिया और महिला अफसर के तबादले पर रोक लगा दी।
यह मामला है उस सहकारिता विभाग का जिसके उपायुक्त राजेश छत्री इंदौर में अपनी अधीनस्थ महिला अफसर को लंबे समय तक यौन प्रताड़ना देते रहे। महिला अफसर ने इस बात का प्रतिरोध किया और स्थानीय परिवाद समिति से लेकर शासन स्तर तक आवाज उठाई।
पुलिस ने छत्री के खिलाफ एफआइआर तो दर्ज की लेकिन गिरफ्तारी न करके उसे बचाती रही। उधर विभाग ने छत्री को निलंबित तो किया लेकिन इससे अधिक कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे न्याय के लिए लड़ रही महिला अफसर का हाल ही में इंदौर से टीकमगढ़ तबादला कर दिया।
महिला अफसर ने विभाग के प्रमुख सचिव को भी आवेदन दिया कि स्थानीय परिवाद समिति ने भी छत्री को दोषी माना है। मेरा केस विचाराधीन है। इस तरह मेरा तबादला कर दिया जाएगा तो छत्री जैसे अधिकारियों का हौसला बढ़ेगा और मेरा मनोबल गिरेगा। भविष्य में कोई महिला न्याय के लिए नहीं लड़ पाएगी।
महिला अफसर ने हाई कोर्ट के समक्ष भी अनुरोध किया कि तबादले से मेरा केस प्रभावित होगा। मैं अविवाहित हूं और घर में अकेली कमाने वाली हूं, भाई पढ़ रहा है और मां की तबीयत ठीक नहीं है।
इस मामले में पीड़ित महिला अफसर की ओर से अधिवक्ता मिनी रवींद्रन ने पैरवी की। हाई कोर्ट में लगाए गए दस्तावेजों में महिला अफसर की ओर से यह भी कहा गया है कि विभागीय अफसर की ओर से लगातार केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक कि छत्री के पिता और भाई ने भी दो-तीन बार महिला अफसर से मिलकर केस वापस लेने का दबाव बनाया। समझौता न करने पर तबादला किया गया।
Posted By: Nai Dunia News Network
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