Publish Date: | Tue, 29 Sep 2020 01:19 AM (IST)
निजी अस्पताल भी सप्लायरों से किराए पर बुलवा रहे हैं बायपेप
इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना के मरीजों को निजी अस्पतालों के भारी-भरकम बिल से निजात दिलाने के नाम पर जारी जिला प्रशासन की गाइडलाइन खुद ही मजाक बनकर रह गई है। सामान्यतः कोरोना के गंभीर मरीजों को बायपेप पर रखना होता है। जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार निजी अस्पताल बायपेप के नाम पर डेढ़ हजार रुपये प्रतिदिन तक वसूल सकते हैं, लेकिन यही बायपेप मेडिकल सामान सप्लाई करने वालों के यहां आसानी से 500 रुपये प्रतिदिन के किराए पर उपलब्ध है। यानी मरीज के बायपेप पर आते ही निजी अस्पताल की एक हजार रुपये प्रतिदिन की अतिरिक्त कमाई शुरू हो जाती है। ऐसे में गाइडलाइन पर ही सवाल उठने लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों से मनमाना शुल्क वसूलने की शिकायतों के बाद जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग उपकरणों के शुल्क निर्धारित किए हैं। इसमें कई खामियां हैं। सामान्यतः कोरोना के मरीज की स्थिति गंभीर होते ही उसे वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। वेंटिलेटर नहीं होने पर मरीज को बायपेप पर रखा जाता है। यह मशीन मरीज को सांस लेने में मदद करती है। इसकी कीमत 50 हजार रुपये से भी कम होती है लेकिन निजी अस्पताल इसके शुल्क के रूप में तीन हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। इधर राहत के नाम पर जारी गाइडलाइन में भी इसका किराया डेढ़ हजार रुपये प्रतिदिन तय किया गया है, जबकि मेडिकल सप्लायरों के यहां यह मशीन 500 रुपये प्रतिदिन किराए पर मिल रही है।
मशीन के अलावा भी वसूल रहे शुल्क
निजी अस्पताल मात्र बायपेप मशीन के नाम पर ही रकम नहीं वसूल रहे बल्कि इसके संचालन और नर्सिंग केयर के नाम पर भी वसूली जारी है। मरीज के स्वजन से मशीन के नाम पर तीन हजार रुपये लेने के बावजूद अन्य शुल्क लिए जा रहे हैं।
Posted By: Nai Dunia News Network
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