Publish Date: | Thu, 01 Oct 2020 04:32 PM (IST)
Madhya Pradesh News: भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों को विश्वस्तरीय सुविधाओं का बनाकर उत्कृष्ट विभाग बनाने की योजना अब भी कागजों तक ही सीमित है, जबकि इसके लिए विश्व बैंक ने साल 2015 में करीब 20 करोड़ की राशि भी जारी कर दी। दरअसल, प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों से विश्व बैंक गुणवत्ता योजना के तहत पांच साल पहले उन विभागों के नाम मांगे थे, जिन्हें वे उत्कृष्ट विभाग बनाना चाहते हैं।
यह जानकारी उच्च शिक्षा विभाग ने पांचों विश्वविद्यालयों से मांगी थी। इस तरह पांच विश्वविद्यालयों से 21 विभागों के नाम भेजे गए थे। उत्कृष्ट विभाग बनने से विद्यार्थियों को उन विभागों की लाइब्रेरी में अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की डिजिटल पुस्तकें, लैब में आधुनिक उपकरण समेत ई-क्लासेस की सुविधाएं मिल सकेंगी।
इसके साथ ही एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत विद्यार्थी व फैकल्टी एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय भी जा सकेंगे। योजना के क्रियान्वयन समेत प्रस्ताव बनाने के लिए विभाग दो बार इंदौर में प्रशिक्षण कार्यक्रम कर चुका है। इसमें इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की फैकल्टी ही शामिल हुई थी।
शेष चार विश्वविद्यालयों की फैकल्टी कार्यक्रम में पहुंची ही नहीं। पांच में से एक भी विश्वविद्यालय ने इस योजना का क्रियान्वयन नहीं किया। ऐसे में विद्यार्थियों को उत्कृष्ट सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। मामले में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि वे इस मामले में समीक्षा कर उचित निर्णय लेंगे।
इन विवि में बनना है उत्कृष्ट केंद्र
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, जीवाजी विवि ग्वालियर, विक्रम विवि उज्जैन, रानी दुर्गावति विवि जबलपुर, देवी अहिल्या विवि इंदौर और अवधेश प्रताप सिंह विवि रीवा।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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