Publish Date: | Thu, 01 Oct 2020 04:06 AM (IST)
भितरवार। मॉडल एक्ट के विरोध में संयुक्त मोर्चा मप्र मंडी बोर्ड के आह्वान पर कृषि उपज मंडी में अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा की जा रही हड़ताल बुधवार को छठवे दिन भी जारी रही। कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण मंडी का कामकाज पूरी तरह ठप्प हो गया। जिसका खामियाजा क्षेत्रीय किसानों को भुगतना पड़ रहा है। मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए आने वाले किसानों को खरीदी नहीं हो पाने के कारण मायूस होकर लौटना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि शासन द्वारा लागू किए गए मॉडल एक्ट के विरोध मंडी कर्मचारी विगत 25 सितंबर से मंडी प्रांगण में धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं। गत दिवस कर्मचारियों ने अर्धनग्न होकर विरोध व्यक्त किया। संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि राहुल शर्मा ने बताया कि सरकार ने मंडी अधिकारियों-कर्मचरियों के साथ वादाखिलाफी की है। पहले जब कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की गई थी, तब मुख्यमंत्री ने 15 दिन का आश्वासन दिया था कि प्रदेश के समस्त मंडी अधिकारी, कर्मचारियों के वेतन भत्ते की सुरक्षा की जाएगी और कृषि संचनालय बनेगा उसमें शामिल किया जाएगा। परंतु अभी तक इस संबंध में किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन कर जो मॉडल एक्ट लागू किया गया है वह किसान, हम्माल, तुलावटीयो, व्यापारियों, मंडी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित में नहीं है। इसलिए जब तक मंडी एक्ट में सुधार नहीं होता है तब तक मंडी के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे।
मंडियों में व्यापारियों का कहना है कि कृषि उपज कारोबार में मॉडल एक्ट लागू होने के बाद मंडी में व्यापार करना मुश्किल हो गया है। व्यापारियों का कहना है कि 1 मई 2020 को अध्यादेश लाया गया है। जो कि प्रदेश के किसानों, हम्माल, तुलावटियो, मंडी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित में नहीं हैं। नगर के प्रतिष्ठित व्यवसाई सुशील अग्रवाल ने व्यापारियों की ओर से मांग की है कि इस अध्यादेश को तुरंत निरस्त किया जाए। साथ ही मंडियों में वसूल किए जाने वाले 1.70 फीसदी टैक्स को घटाकर 0.50 फीसद किया जाए। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने मंडी प्रांगण में नारेबाजी की। इस अवसर पर महेश प्रसाद गौड़, खेमराज राजे, सुनील अगरेया, नाथू सिंह रावत, रमेश बाबू जाटव, माधुरी बघेल, योगेश सिंह यादव, चंद्रभान सिंह कुशवाह, जितेंद्र सिंह रावत, शिव सिंह चौहान आदि प्रमुख रूप से हड़ताल में शामिल रहे।
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Posted By: Nai Dunia News Network
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